ए कक्का! हमरा हवा-हवाई चप्पल टूट गया है!
बड़ा दिक्कत महसूस हो रहा है भागने में। औरे ससुर ई शॉक
डाउन में कउनो दुकान भी नहीं खुली है। का करें बड़ा तकलीफ़ में हैं,
औरे उधर रोज़ी-रोटी के लाले भी पड़े हैं। परसों ऊ छगनलाल बनिया के
यहाँ गये रहे सवा सेर गेहूँ ख़ातिर, कह रहा था गेहूँ नाहीं है मैदा खाओ और मैदा न
हो तो सूजी खाओ! अब आप ही बताओ, मैदा खाने में कितना तकलीफ़ होता है।
पिछले साल हम मुजफ़्फ़रपुर गये थे तब सुबह-सुबह मैदा का पूड़ी खाये रहे आलू की तरकारी के साथ, वापस लख़नऊ आये तो डॉक्टर साहेब बता रहे थे कि मैदा खाने से तुम्हें पेचिस हो गया है। उन्होंने बताया हिमालय जाकर लाल कालीन पर चारों-खाने चित होकर दो-सौ-दो महाभुसण्डी महाराज का जाप करो औरे उसकी फोटू वाट्सअप यूनिवर्सिटी पर वायरल करवा दो! जितने लाइक आयेंगे तुम्हरी पीड़ा उतनी ही तेज़ी से जाती रहेगी। परन्तु का बतायें कक्का! हमने यह भी करके देख लिया पर आराम तो हराम बनकर रह गया। फिर ससुर ई तकलीफ़ लेकर हम "तुम बजाओ हम कमायें लोक हिट पार्टी" वाले बाबा के पास गये। उन्होंने कहा तुम अपनी सारी श्रद्धा हमरी ई पार्टी ख़ातिर थोबड़े की क़िताब पर दिखाओ और प्रति दो रुपये ट्रोल मज़हबी वैमनस्यता को फैलाने के साथ-साथ शीघ्र स्वास्थ्य लाभ पाओ! उन्होंने अपनी धोती बाँधते हुए फिर कहा अगर यह नहीं कर सकते तो 'सामुदायिक साहित्य चिट्ठा' के नाम पर की एक कंपनी बनाओ और कई साहित्य से जुड़े कर्मचारियों को साहित्यसेवा के नाम पर उस काम पर रखो! हम तुम्हें सालाना दस-बीस लाख रुपये तो दे ही देंगे और तुम मैगियों के देश में जाकर इन पैसों से अपना बेहतर ढंग से इलाज कराओ! का बतायें कक्का ऊ ससुर "तुम बजाओ हम कमायें लोक हिट पार्टी" वाले बाबा के चक्कर में हमने ठेका तो ले लिया परन्तु ससुर अब भोग रहे हैं। ससुर जो वायरस हमने मोहल्ले वाली मुर्ग़ी में फैलाया था ग़लती से उसी मुर्ग़ी के अंडे का ऑमलेट हम निगल लिये रहे। डॉक्टर झटपटिया कह रहे थे कि अब इसका इलाज संभव नहीं है आप अपना इंतज़ाम तैयार रखें कभी भी बुलावा भेजा जा सकता है। बाक़ी सब ठीक है!
बड़ा दिक्कत महसूस हो रहा है भागने में। औरे ससुर ई शॉक
डाउन में कउनो दुकान भी नहीं खुली है। का करें बड़ा तकलीफ़ में हैं,
औरे उधर रोज़ी-रोटी के लाले भी पड़े हैं। परसों ऊ छगनलाल बनिया के
यहाँ गये रहे सवा सेर गेहूँ ख़ातिर, कह रहा था गेहूँ नाहीं है मैदा खाओ और मैदा न
हो तो सूजी खाओ! अब आप ही बताओ, मैदा खाने में कितना तकलीफ़ होता है।
पिछले साल हम मुजफ़्फ़रपुर गये थे तब सुबह-सुबह मैदा का पूड़ी खाये रहे आलू की तरकारी के साथ, वापस लख़नऊ आये तो डॉक्टर साहेब बता रहे थे कि मैदा खाने से तुम्हें पेचिस हो गया है। उन्होंने बताया हिमालय जाकर लाल कालीन पर चारों-खाने चित होकर दो-सौ-दो महाभुसण्डी महाराज का जाप करो औरे उसकी फोटू वाट्सअप यूनिवर्सिटी पर वायरल करवा दो! जितने लाइक आयेंगे तुम्हरी पीड़ा उतनी ही तेज़ी से जाती रहेगी। परन्तु का बतायें कक्का! हमने यह भी करके देख लिया पर आराम तो हराम बनकर रह गया। फिर ससुर ई तकलीफ़ लेकर हम "तुम बजाओ हम कमायें लोक हिट पार्टी" वाले बाबा के पास गये। उन्होंने कहा तुम अपनी सारी श्रद्धा हमरी ई पार्टी ख़ातिर थोबड़े की क़िताब पर दिखाओ और प्रति दो रुपये ट्रोल मज़हबी वैमनस्यता को फैलाने के साथ-साथ शीघ्र स्वास्थ्य लाभ पाओ! उन्होंने अपनी धोती बाँधते हुए फिर कहा अगर यह नहीं कर सकते तो 'सामुदायिक साहित्य चिट्ठा' के नाम पर की एक कंपनी बनाओ और कई साहित्य से जुड़े कर्मचारियों को साहित्यसेवा के नाम पर उस काम पर रखो! हम तुम्हें सालाना दस-बीस लाख रुपये तो दे ही देंगे और तुम मैगियों के देश में जाकर इन पैसों से अपना बेहतर ढंग से इलाज कराओ! का बतायें कक्का ऊ ससुर "तुम बजाओ हम कमायें लोक हिट पार्टी" वाले बाबा के चक्कर में हमने ठेका तो ले लिया परन्तु ससुर अब भोग रहे हैं। ससुर जो वायरस हमने मोहल्ले वाली मुर्ग़ी में फैलाया था ग़लती से उसी मुर्ग़ी के अंडे का ऑमलेट हम निगल लिये रहे। डॉक्टर झटपटिया कह रहे थे कि अब इसका इलाज संभव नहीं है आप अपना इंतज़ाम तैयार रखें कभी भी बुलावा भेजा जा सकता है। बाक़ी सब ठीक है!
'लोकतंत्र संवाद' मंच
'भारतरत्न' बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी को
कोटि-कोटि नमन करता है।
हम 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२ में प्रवेश कर चुके हैं जो दिनांक ०१ /०४ /२०२० (बुधवार) से प्रभावी है। इस भाग के दूसरे चरण में चयनित कुछ स्तरीय रचनाएं इस प्रकार हैं-
( रचनाएं वरीयता क्रम में नहीं बल्कि सुविधानुसार लगायी गयी हैं। कृपया भ्रमित न हों! )
१. भारतरत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर
भारतीय संविधान के रचयिता
भारतरत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की आज जयंती है जो देशभर
में उत्सव की भाँति मनाई जाती है। 14 अप्रैल 1891 को जन्मे बाबा साहब का जीवन अत्यंत संघर्षपूर्ण रहा।
"मेरी प्रशंसा और जय-जयकार करने से अच्छा है मेरे दिखाए मार्ग पर चलो।"
२. भूख अब पेट में नहीं रहती
हम बिदेश तो नहीं गए न साहब
हम तो आपकी सेवा में थे
हम ड्राइवर थे, धोबी थे, रसोइया थे
हम घर की साफ़ सफाई वाले थे
सडकें, गटर साफ़ करने वाले थे।
३. बीत गया मधुमास सखी
मंजरी बिखरी आँगन में
बीत गया मधुमास सखी।
पीत किसलय हुए पल्लवित
हिय उमड़ा विश्वास सखी ।।
४. ग़म के डब्बे
एक डब्बे का ढक्कन
पूरा बंद ही नहीं होता,
रोज़-रोज़ की
खिच -खिच से बनता है
ये वाला ग़म।
इस ग़म की गंध से,
दिल तक़रीबन रोज़ ही
भरा रहता है,
५. सांस्कृतिक चेतना का पर्व -- बैशाखी --
ये तो है घर प्रेम का -- खाला का घर नाहि--
शीश उतारे भूईं धरे -तब बैठे इह माहि ||
भारतीय संविधान के रचयिता
भारतरत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की आज जयंती है जो देशभर
में उत्सव की भाँति मनाई जाती है। 14 अप्रैल 1891 को जन्मे बाबा साहब का जीवन अत्यंत संघर्षपूर्ण रहा।
"मेरी प्रशंसा और जय-जयकार करने से अच्छा है मेरे दिखाए मार्ग पर चलो।"
२. भूख अब पेट में नहीं रहती
हम बिदेश तो नहीं गए न साहब
हम तो आपकी सेवा में थे
हम ड्राइवर थे, धोबी थे, रसोइया थे
हम घर की साफ़ सफाई वाले थे
सडकें, गटर साफ़ करने वाले थे।
३. बीत गया मधुमास सखी
मंजरी बिखरी आँगन में
बीत गया मधुमास सखी।
पीत किसलय हुए पल्लवित
हिय उमड़ा विश्वास सखी ।।
४. ग़म के डब्बे
एक डब्बे का ढक्कन
पूरा बंद ही नहीं होता,
रोज़-रोज़ की
खिच -खिच से बनता है
ये वाला ग़म।
इस ग़म की गंध से,
दिल तक़रीबन रोज़ ही
भरा रहता है,
५. सांस्कृतिक चेतना का पर्व -- बैशाखी --
ये तो है घर प्रेम का -- खाला का घर नाहि--
शीश उतारे भूईं धरे -तब बैठे इह माहि ||
मुझे अंधेरों से डर नहीं लगता
मुझे सन्नाटों का भी खौफ़ नहीं
'भारतरत्न' बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर
जी का बी.बी.सी के साथ साक्षात्कार का एक दुर्लभ चलचित्र।
उद्घोषणा
'लोकतंत्र 'संवाद मंच पर प्रस्तुत
विचार हमारे स्वयं के हैं अतः कोई भी
व्यक्ति यदि हमारे विचारों से निजी तौर पर
स्वयं को आहत महसूस करता है तो हमें अवगत कराए।
हम उक्त सामग्री को अविलम्ब हटाने का प्रयास करेंगे। परन्तु
यदि दिए गए ब्लॉगों के लिंक पर उपस्थित सामग्री से कोई आपत्ति होती
है तो उसके लिए 'लोकतंत्र 'संवाद मंच ज़िम्मेदार नहीं होगा। 'लोकतंत्र 'संवाद मंच किसी भी राजनैतिक ,धर्म-जाति अथवा सम्प्रदाय विशेष संगठन का प्रचार व प्रसार नहीं करता !यह पूर्णरूप से साहित्य जगत को समर्पित धर्मनिरपेक्ष मंच है ।
'लोकतंत्र 'संवाद मंच पर प्रस्तुत
विचार हमारे स्वयं के हैं अतः कोई भी
व्यक्ति यदि हमारे विचारों से निजी तौर पर
स्वयं को आहत महसूस करता है तो हमें अवगत कराए।
हम उक्त सामग्री को अविलम्ब हटाने का प्रयास करेंगे। परन्तु
यदि दिए गए ब्लॉगों के लिंक पर उपस्थित सामग्री से कोई आपत्ति होती
है तो उसके लिए 'लोकतंत्र 'संवाद मंच ज़िम्मेदार नहीं होगा। 'लोकतंत्र 'संवाद मंच किसी भी राजनैतिक ,धर्म-जाति अथवा सम्प्रदाय विशेष संगठन का प्रचार व प्रसार नहीं करता !यह पूर्णरूप से साहित्य जगत को समर्पित धर्मनिरपेक्ष मंच है ।
धन्यवाद।
टीपें
अब 'लोकतंत्र' संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार '
सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित
होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आज्ञा दें!
आप सभी गणमान्य पाठकजन पूर्ण विश्वास रखें आपको इस मंच पर साहित्यसमाज से सरोकार रखने वाली सुन्दर रचनाओं का संगम ही मिलेगा। यही हमारा सदैव प्रयास रहेगा। रचनाओं के क्रम सुविधानुसार लगाये गए हैं।
आदरणीय सर सादर प्रणाम 🙏
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचनाओं से सुसज्जित लोकतंत्र का यह अंक भी शानदार रहा। सभी रचनाएँ पढ़ी हमने सब एक से बढ़कर एक। सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ। प्रस्तुति संग आपकी भूमिका भी उम्दा और समसामयिक है। ना जाने कोरोना के चलते और कितनी चप्पलें टूटेंगी,कुछ तो बिना चप्पलों के भी दौड़ पड़े है और क्या पता आगे मैदा,सूजी भी मिले ना मिले भूख को ही निवाला समझ ग्रहण करना पड़ सकता है। नारायण से प्रर्थना है कि सबको संभाले रखें और मनुष्यों से प्रर्थना कि सबके लिए निवाला बचाए रखें।
बाबा साहब को मेरा कोटिशः नमन 🙏
बढ़िया अंक।
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही उत्कृष्ट प्रस्तुति. इस अंक में श्रेष्ठ नामांकित रचनाओं के बीच मेरे नवगीत को स्थान देने के लिए बहुत-बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकरो को हार्दिक बधाई.
अन्त में दुर्लभ वीडियो साझा करने के लिए आभार.
सादर
बेहतरीन संतुलित व्यंग्यात्मक लेख के साथ शानदार प्रस्तुतीकरण का मुज़ाहिरा करता लोकतंत्र संवाद मंच का नवीनतम अंक। साहित्यिक पुरस्कार योजना में नामांकित रचनाओं के चयन का आपका नज़रिया प्रशंसनीय है। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।मेरा लेख सम्मिलित करने के लिए बहुत-बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंशानदार भूमिका में आँँचलिक भाषा में लिखी व्यंगकथा के साथ सुन्दर प्रस्तुतीकरण एवं उम्दा लिंक संकलन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई।
हिमालय जाकर लाल कालीन पर चारों-खाने चित होकर दो-सौ-दो महाभुसण्डी महाराज का जाप करो औरे उसकी फोटू वाट्सअप यूनिवर्सिटी पर वायरल करवा दो! जितने लाइक आयेंगे तुम्हरी पीड़ा उतनी ही तेज़ी से जाती रहेगी
जवाब देंहटाएंवाह ध्रुव सटीक व्यंग जो आज के पाखंडी समाज और धर्म के ठेकेदारों की पोल खोलता है | सुंदर सार्थक रचनाएँ जो रचनाएँ नहीं भावों के मोती हैं | सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई | आपके चयन को नमन | यूँ ही आगे बढ़ते रहो | सस्नेह --
वीडियो नहीं खुल पाया था ध्रुव | एक बार देखना जरुर | मुझे इच्छा थी ये दुर्लभ साक्षात्कार देखने की |
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