कक्का जी और कलुआ जब जा पहुँचे शाम-ए-अवध ! तो फिर क्या था, दे ताली पर ताली। कलुआ का मंच पर फर्राटेदार आगमन चारों ओर शांतिमय वातावरण ,कक्का जी भी बनारसी अंदाज में दे दनादन सीटी पर सीटी कलुआ के सपोर्ट में। बगल वाला श्रोता - काहे फर्जी में शोर मचा रहे हो कक्का जी,तनिक कलुआ को बकने तो दो ! तब गा लिहो तुम भी। कक्का जी शर्म से पानी-पानी ! उधर कलुआ माइक से गला फाड़ना आरम्भ कर दिया।
कौन कहता है बादल में होल नहीं
हमने कल ही फटे चादर से देखा था।
उधर से आवाज आई। अबे तू क्यूँ नहीं फट गया ? कलुआ -अबे पूरा सुन तू खुद-ब -खुद फट जायेगा।
मैंने कल ही अपने हाथ से बनी मैगी खाई
तब जाकर दोस्तों,तुम्हारी मरी नानी याद आई।
तभी दर्शक दीर्घा से एक व्यंग भरी आवाज आई। अबे कलुवे ! तुझे शायरी किसने सिखाई।
फ़ब्तियाँ कसते हो अरे ओ ! दुनिया वालों
कुछ दर्द ज़रूर है दिल में तुम्हारे घरवाली का
शेर को शेर न कहो,चलो माना हमने
गर दिल-ए-दर्द है,तबियत से चप्पल तो उछालो यारों।
तभी बिजली चली गई और मंच पर सच में किसी ने चप्पल फेंक दिया। चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल। भीड़ में कक्का जी का कीमा बन गया। जैसे-तसे कलुआ मंच से उतरा और कक्का जी को घसीटता हुआ पंडाल से बाहर आया और बोला
जान बची सो लाखों पाए !
लोकतंत्र संवाद मंच आज कुछ अलग है।
कहते हैं शब्दों में वो जादू है जो कहीं नहीं।
अतः लोकतंत्र संवाद मंच कुछ सुन्दर चलचित्रों के साथ आपका हार्दिक स्वागत करता है।
उद्घोषणा
'लोकतंत्र 'संवाद मंच पर प्रस्तुत
विचार हमारे स्वयं के हैं अतः कोई भी
व्यक्ति यदि हमारे विचारों से निजी तौर पर
स्वयं को आहत महसूस करता है तो हमें अवगत कराए।
हम उक्त सामग्री को अविलम्ब हटाने का प्रयास करेंगे। परन्तु
यदि दिए गए ब्लॉगों के लिंक पर उपस्थित सामग्री से कोई आपत्ति होती
है तो उसके लिए 'लोकतंत्र 'संवाद मंच ज़िम्मेदार नहीं होगा। 'लोकतंत्र 'संवाद मंच किसी भी राजनैतिक ,धर्म-जाति अथवा सम्प्रदाय विशेष संगठन का प्रचार व प्रसार नहीं करता !यह पूर्णरूप से साहित्य जगत को समर्पित धर्मनिरपेक्ष मंच है ।
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धन्यवाद।
टीपें
अब 'लोकतंत्र' संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार'
सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित
होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आज्ञा दें !
'एकलव्य'
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आप सभी गणमान्य पाठकजन पूर्ण विश्वास रखें आपको इस मंच पर साहित्यसमाज से सरोकार रखने वाली सुन्दर रचनाओं का संगम ही मिलेगा। यही हमारा सदैव प्रयास रहेगा।
सभी छायाचित्र : साभार गूगल
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