का कक्का! आजकल आप तो अपने मंचों पर स्थान ही नाही देते। का कउनो चूक हो गई का हमसे। नाही तो! अरे तुमका तो ख़ाली वही सिटपिटिया लेखक ही दिखता है हम तो जैसे कछु हैं ही नाही! अरे नाही रे कलुआ! तेरी रचना साहित्य के मापदंडों पर खरी नाही उतरती तो इम्मा हमरा कौन दोष! अरे उहे छक्कन गजोधर को देख कैसी ठुमकेदार रचना लिखता है! तुम भी कउनो लच्छेदार रचना ज़रा छौंक लगाके लिख और फिर देख कैसे झमाझम स्थान मिलता है तोरी स्तरीय रचनाओं को दसों मंचों पर। फिर देख पर्चा मंच अउरो तोहरे लिंकों का आनंद वाले सभई ज्ञानी तुझे कैसे झूला झुलाते हैं। बाक़ी सब ठीक है।
'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-१
अत्यंत हर्ष हो रहा है आपको यह सूचित करते हुए कि 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तकों को पढ़ने हेतु अपने पाठकों और लेखकों को प्रोत्साहित करने का एक छोटा-सा प्रयास करने जा रहा है। इस प्रयास का मूल उद्देश्य साहित्यिक पुस्तकों के प्रति पाठकों के रुचि को पुनः स्थापित करना और उनके प्रति युवा वर्ग के आकर्षण को बढ़ाना है। इस साहित्यिक प्रयास के अंर्तगत माह के तीन बुधवारीय अंक में सम्मिलित की गई सभी श्रेष्ठ रचनाओं में से पाठकों की पसंद और 'लोकतंत्र संवाद' मंच की टीम के सदस्यों द्वारा अनुमोदित तीन सर्वश्रेष्ठ रचनाओं को हम पुरस्कार स्वरूप साहित्यिक पुस्तकें साधारण डाक द्वारा प्रेषित करेंगे। हमारा यह प्रयास ब्लॉगरों में साहित्यिक पुस्तकों के प्रति आकर्षण को बढ़ावा देना एवं साहित्य के मर्म को समझाना है जिससे ब्लॉगजगत केवल इसी मायावी डिजिटल भ्रम में न फँसा रह जाय बल्कि पुस्तकों के पढ़ने की यह पवित्र परंपरा निरंतर चलती रहे। आप विश्वास रखें! इस मंच पर किसी भी लेखक विशेष की रचनाओं के साथ किसी भी प्रकार का कोई भी पक्षपात नहीं किया जायेगा। निर्णय पूर्णतः रचनाओं की श्रेष्ठता और उसके साहित्यिक योगदान पर निर्भर करेगा।
रचनाएं सीधे लेखक के ब्लॉग से लिंक की जायेंगी और माह के अंतिम बुधवारीय अंक में चयनित रचनाओं के लिंक भी आपसभी के समक्ष प्रस्तुत किये जायेंगे।
यह कार्यक्रम दिनांक ०४/०३/२०२० ( बुधवारीय अंक ) से प्रभावी है।
विधा: हिंदी साहित्य की कोई भी विधा मान्य है।
योग्यता: ब्लॉगजगत के सभी सक्रिय रचनाकार ( ब्लॉगर )
रचनाएं सीधे लेखक के ब्लॉग से लिंक की जायेंगी और माह के अंतिम बुधवारीय अंक में चयनित रचनाओं के लिंक भी आपसभी के समक्ष प्रस्तुत किये जायेंगे।
यह कार्यक्रम दिनांक ०४/०३/२०२० ( बुधवारीय अंक ) से प्रभावी है।
विधा: हिंदी साहित्य की कोई भी विधा मान्य है।
योग्यता: ब्लॉगजगत के सभी सक्रिय रचनाकार ( ब्लॉगर )
रचनाओं की चयन प्रक्रिया
लोकतंत्र संवाद पर प्रकाशित रचनाओं की प्रति तीन सप्ताह उपरांत समीक्षा की जाएगी। इस प्रक्रिया में श्रेष्ठ रचनाओं के चयन का आधार होगा-
1. पाठकों की टिप्पणियाँ / समीक्षाएँ (लोकप्रिय रचना के लिये)
2. लोकतंत्र संवाद के समीक्षक मंडल द्वारा चयनित रचना (आलोचकों की पसंद )
3. स्वतंत्र निर्णायक मंडल द्वारा चयनित रचना(लेखक की पसंद )
निर्णायक मंडल की निर्णायक प्रक्रिया संबंधी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी।
तो आइये! हम एक ऐसे बेहतर साहित्यसमाज का निर्माण करें जो पूर्णतः राजनीतिक,धार्मिक एवं संप्रदाय विशेष की कुंठा से मुक्त हो! इसमें आपसभी पाठकों एवं लेखकों का सहयोग अपेक्षित है। अतः सभी पाठकों एवं रचनाकारों से निवेदन है कि बिना किसी दबाव और पक्षपात के रचनाओं की उत्कृष्ठता पर अपने स्वतंत्र विचार रखें ताकि हम रचनाओं का सही मूल्याङ्कन कर सकें।
सादर
हम आपके ब्लॉग तक निर्बाध पहुँच सकें और आपकी रचनाएं लिंक कर सकें इसलिए आपसभी रचनाकारों से निवेदन है कि आपसभी लोकतंत्र संवाद मंच ब्लॉग का अनुसरण करें !
'एकलव्य'
आइए चलते हैं इस सप्ताह की कुछ स्तरीय रचनाओं की ओर
ये वहीं है
जो घरों से बाहर
निकलते ही
तारते है तुम्हारे
उरोज, नितंब
और मुस्कराते है...
अपनों में कौन बेगाना है
कोई तो पूछ बताये हमें
३. भाईचारा
सतारूढ़ दल के राजनेता
काम बोलता है का जुमला उछाले
हुये थे,तो विपक्ष ने इन्हीं कथित विकास कार्यों
पर घेराबंदी कर रखी थी, पर वोटर ख़ामोश थे,
क्योंकि जनता को किसी ने भी फीलगुड का एहसास नहीं करवाया था ।
४. वो तलाश
काश मैं चुपके से
जेब की तस्वीर बदल पाती
उसकी वो तलाश मुकम्मल हो जाती..
प्रेम की इक धार बनकर
मन अगर खुद से मिलेगा,
सोंधी सी फुहार छुए
जो अभी तक जल रहा है !
६. लालसा
अपने हृदय के एकांत में
सर्वाधिकार सौंपकर
होना चाहती है
निश्चिंत
कितना भी लिखूँ
स्त्रियों को
क़लम के दायरे से
उफ़नकर
बह ही जाती हैं।
रक्तबीज-सी उगूँ
और कण-कण में बिखेर दूँ,
खिलखिलाहट का बीज
चिराग़-ए-मुहब्बत बुझा तो रही हो
मगर याद मेरी मिटाओगी कैसे ?
श्वेत -श्याम एक हुए
ना ऊंच- नीच का भेद रहा
रंग एक रंगे सभी देखो
एक दूजे के संग -संग गलियों में
टेसू फूले ,गुलाब महके .
उडी भीनी पुष्पगंध गलियों में !!
आदरणीय अशोक चक्रधर जी
उद्घोषणा
'लोकतंत्र 'संवाद मंच पर प्रस्तुत
विचार हमारे स्वयं के हैं अतः कोई भी
व्यक्ति यदि हमारे विचारों से निजी तौर पर
स्वयं को आहत महसूस करता है तो हमें अवगत कराए।
हम उक्त सामग्री को अविलम्ब हटाने का प्रयास करेंगे। परन्तु
यदि दिए गए ब्लॉगों के लिंक पर उपस्थित सामग्री से कोई आपत्ति होती
है तो उसके लिए 'लोकतंत्र 'संवाद मंच ज़िम्मेदार नहीं होगा। 'लोकतंत्र 'संवाद मंच किसी भी राजनैतिक ,धर्म-जाति अथवा सम्प्रदाय विशेष संगठन का प्रचार व प्रसार नहीं करता !यह पूर्णरूप से साहित्य जगत को समर्पित धर्मनिरपेक्ष मंच है ।
'लोकतंत्र 'संवाद मंच पर प्रस्तुत
विचार हमारे स्वयं के हैं अतः कोई भी
व्यक्ति यदि हमारे विचारों से निजी तौर पर
स्वयं को आहत महसूस करता है तो हमें अवगत कराए।
हम उक्त सामग्री को अविलम्ब हटाने का प्रयास करेंगे। परन्तु
यदि दिए गए ब्लॉगों के लिंक पर उपस्थित सामग्री से कोई आपत्ति होती
है तो उसके लिए 'लोकतंत्र 'संवाद मंच ज़िम्मेदार नहीं होगा। 'लोकतंत्र 'संवाद मंच किसी भी राजनैतिक ,धर्म-जाति अथवा सम्प्रदाय विशेष संगठन का प्रचार व प्रसार नहीं करता !यह पूर्णरूप से साहित्य जगत को समर्पित धर्मनिरपेक्ष मंच है ।
धन्यवाद।
टीपें
अब 'लोकतंत्र' संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार '
सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित
होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आज्ञा दें !
आप सभी गणमान्य पाठकजन पूर्ण विश्वास रखें आपको इस मंच पर साहित्यसमाज से सरोकार रखने वाली सुन्दर रचनाओं का संगम ही मिलेगा। यही हमारा सदैव प्रयास रहेगा। रचनाओं के क्रम सुविधानुसार लगाये गए हैं।
सभी छायाचित्र : साभार गूगल
शुभ संध्या..
जवाब देंहटाएंआभार...
सादर..
मंच पर आगमन हेतु आपका आभार! आपकी यह अनमोल टिप्पणी हमें निरंतर आगे बढ़ने की ऊर्जा प्रदान करती है। सादर
हटाएंविशुद्ध साहित्यिक मंच पर मेरे जैसे एक साधारण पत्रकार के सृजन " भाईचारा " को स्थान देने के लिए आपका अत्यंत आभार एकलव्य जी नमस्कार।
जवाब देंहटाएंसाहित्य क्षेत्र आप ध्रुव नक्षत्र की तरह चमकीले सितारे बने, ऐसी कामना करता हूँँ।
चमकीला सितारा पढ़ा जाए।
हटाएंमंच पर आगमन हेतु आपका आभार! आपकी यह अनमोल टिप्पणी हमें निरंतर आगे बढ़ने की ऊर्जा प्रदान करती है। सादर
हटाएंपिय ध्रुव , भूमिका में कक्का - कलुवा के रोचक संवाद में व्यंग है पर ये सच्चाई है कि अच्छा लिखना आज की जरूरत है | क्योंकि आजका लिखा कल की अनमोल थाती बन जाएगा |सभी रचनाओं का अवलोकन किया | अछि हैं | अशोकजी क काव्य पाठ सुनना रह गया है बस | सभी रचनाकारों को सस्नेह बधाई |मेरे रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार | औरर इतनी व्यस्तता के बीच मंच पर नया अंक सजाना बड़ी चुनौती है | फिर भी कर रहे हो | साहित्य के प्रति ये प्रतिबद्धतता प्रेरक है | यूँ ही आगे बढ़ते रहो ये ही कामना है |
जवाब देंहटाएंमंच पर आगमन हेतु आपका आभार! आपकी यह अनमोल टिप्पणी हमें निरंतर आगे बढ़ने की ऊर्जा प्रदान करती है। सादर
हटाएंबहुत सुंदर लिंक्स, बेहतरीन रचनाएं👌
जवाब देंहटाएंमंच पर आगमन हेतु आपका आभार! आपकी यह अनमोल टिप्पणी हमें निरंतर आगे बढ़ने की ऊर्जा प्रदान करती है। सादर
हटाएंआदरणीय सर सादर प्रणाम 🙏
जवाब देंहटाएं'लोकतंत्र संवाद' के हर अंक की प्रतीक्षा रहती है किंतु मंच के पाठक यह समझते हैं कि व्यस्तताओं के चलते कई बार विलंब हो जाता है। व्यस्त होते हुए भी इतनी बेहतरीन रचनाओं का चयन करना,इतनी सुंदर प्रस्तुति देना...आदरणीया रेणु दीदी जी ने उचित ही कहा कि आपकी ये प्रतिबद्धता हम सब के लिए प्रेरणा है।
सभी रचनाएँ पढ़ी हमने। सब एक से बढ़कर एक हैं। सभी को हार्दिक बधाई।
भूमिका में साहित्यिक उत्थान को ध्यान में रखते हुए कक्का-कलुआ की निराली जोड़ी को निमित्त बनाकर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया आपने। उचित ही है...आज लिखने को तो बहुत कुछ लिखा जा रहा और उन्हें प्लेट्फॉर्म भी मिल ही जा रहा किंतु जब तक कोई रचना साहित्यिक दृष्टि से उत्तम ना होगी वह साहित्य की उन्नति कैसे कर सकती है?
आदरणीय चक्रधर जी के इस अनूठे काव्यपाठ को साझा करने हेतु आपका हार्दिक आभार। फौजी का यूँ लौट जाना और उसकी पत्नी का यूँ बाट जोहना....इस कहानी ने कई प्रश्न खड़े कर दिए समाज पर।!
मंच पर आगमन हेतु आपका आभार! आपकी यह अनमोल टिप्पणी हमें निरंतर आगे बढ़ने की ऊर्जा प्रदान करती है। सादर
हटाएंसुन्दर रचनाएँ
जवाब देंहटाएंमंच पर आगमन हेतु आपका आभार! आपकी यह अनमोल टिप्पणी हमें निरंतर आगे बढ़ने की ऊर्जा प्रदान करती है। सादर
हटाएंउत्कृष्ट लिंक संकलनों से सजा शानदार लोकतंत्र संवाद मंच कक्का कलुआ की रोचक भूमिका के साथ...।
जवाब देंहटाएंमंच पर आगमन हेतु आपका आभार! आपकी यह अनमोल टिप्पणी हमें निरंतर आगे बढ़ने की ऊर्जा प्रदान करती है। सादर
हटाएंलाजवाब :)
जवाब देंहटाएंमंच पर आगमन हेतु आपका आभार! आपकी यह अनमोल टिप्पणी हमें निरंतर आगे बढ़ने की ऊर्जा प्रदान करती है। सादर
हटाएंबहुत सुंदर।
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