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सोमवार, 28 जनवरी 2019

७५ ..........रामप्यारी के जूड़े में कउनो लाल-पीली

का रे कलुआ ! ई का कर रहा है अपनी प्यारी साइकिल रामदुलारी के साथ ! ई झंडा-वन्दा ,ई लकड़ी में लगाकर काहे रामप्यारी का बोझ बढ़ाता है ? अरे कक्का ! जब भी बोलिहो ! एकदम काली ज़ुबान ! अरे तोका दिखत नाहीं ? अरे छब्बीस जनवरी आये वाला है, अउर देश के प्रति कउनो हमरो कर्तव्य हौ कि नाही। देशप्रेम ,राष्ट्रवाद देशभक्ति ! 
अरे कलुआ ! तुम भी एकदम टेमफोस हो ! ई सब तो ठीक बा परन्तु उधर भी तो देख ! जनता के प्रतिनिधियन क ! ऊ कउन सा देश का झंडा अपने फोरव्हीलर पर लगाकर चलत हैं। सभई अपने-अपने पार्टी के झंडा अपनी फटफटिया में घुसेड़कर ही घूमत हैं यहाँ-वहाँ ! त का पुलिसवाले उन्हें सलामी ना बजावत हैं। हमरी मान तो तू भी अपनी रामप्यारी के जूड़े में कउनो लाल-पीली ,हरी-नीली पार्टी का झंडा खोंस ले ! 
बाकी सब ठीक बा !
जय भारत 
 गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 
जुंबिशें - - - दोहे 58-60
 शक्ति को भगती मिले, ऐसे हैं संदेश.

 गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
 वीर जवान
कदम से कदम
मिलाते चलें !

अवसाद 
 बन कर चन्द्र ग्रहण,
अंतरिक्ष में।
कराहती कातर राका,

कारावास में।

इसे भी इश्क़ में धोखा हुआ है़

  वह अहसास
 वह अहसास लौटा देती है मुझे
मेरी ब्वै की कुछली
जिसमें मैं दुबक जाता था

आरक्षण : एक ज्वलंत और सम्वेदनशील मुद्दा

 1951 की जनगणना के 
आधार पर सदियों से हाशिये 
पर धकेल दी गयीं सामाजिक एवं शैक्षिक
रूप से वंचित-शोषित अनुसूचित जनजातियों एवं अनुसूचित
जातियों को सम्विधान निर्माता स्वर्गीय डॉ. भीमराव अम्बेडकर की पहल पर  क्रमशः 7.5% , 15 %
आरक्षण सरकारी नौकरियों में इनकी जनसँख्या  के अनुपात में प्रतिनिधित्व तय किया गया।

 अम्मा का निजी प्रेम
 तिल चुपड़ कर नहाऐं
और अम्मा के भगवान के पास
एक एक मुठ्ठी कच्ची खिचड़ी चढ़ाऐं

 कोमल पत्ते
 तो पीले पड़ जाएंगे वे,

तुम जैसे हो जाएंगे।

 क्या दीवार हो तुम?
 जो जकड़ी होती है
सीमेंट से, बालू से
ताकि ढह ना जाए।

 बहेलिया सोच रहा था 

 परिंदों का सौदाकर
उत्साहित था 
नहीं थे पाँव ज़मीं पर
मन भटक रहा था
कहीं पर
हिंसा, तृष्णा, अहँकार, दम्भ, लोलुपता और फ़रेब


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