'सबरंग क्षितिज-विधा संगम' अनोखी पहल है या प्रयोग! अब इसका उत्तर तो हमारे पाठकगण ही दे सकते हैं। आज हम न ही कोई व्यंग्य लेकर आए हैं और न ही कथा क्योंकि 'सबरंग क्षितिज-विधा संगम' का अस्तित्व में आना ही एक अनोखी कथा है! और इन सबसे इतर इस पुस्तक की समीक्षा आदरणीया रेणु बाला जी द्वारा किया जाना, तो आइए मिलवाते हैं आपको एक सशक्त लेखिका से
आदरणीया रेणु बाला जी
परिचय
नाम - रेणु बाला
शिक्षा - एम. ए .हिंदी
सम्प्रति : गृहणी
कला और साहित्य प्रेमी
लेखन अनुभव -- जनवरी २०१७ से शब्द नगरी से ऑनलाइन लेखन की शुरुआत , क्षितिज और मीमांसा ब्लॉग पर लेखन |
साहित्यिक गतिविधि : वरिष्ठ संपादक (बाल साहित्य) , अक्षय गौरव पत्रिका
आदरणीया रेणु बाला जी द्वारा
'सबरंग क्षितिज-विधा संगम' पुस्तक की समीक्षा
साहित्य को समाज का दर्पण
और व्यक्ति के विचारों की अभिव्यक्ति का
सशक्त माध्यम कहा गया है |यह शब्द , अर्थ और भावों की त्रिवेणी है जो व्यक्ति
को सामाजिक सरोकारों से जोड़कर. उसे दायित्वबोधकराते हुए, उसकी रचनात्मक प्रतिभा को सार्थक करती है |
'सबरंग क्षितिज-विधा संगम' पुस्तक के रचनाकार और उनकी रचनाएँ उनके ब्लॉग से ।
आदरणीय विश्वमोहन जी
मैं अयप्पन!
मणिकांता, शास्ता!
शिव का सुत हूँ मैं!
और मोहिनी है मेरी माँ!
आदरणीय रवींद्र सिंह यादव जी
माँ तो केवल माँ होती
ईश्वर का साक्षात रूप है माँ
जो हर हाल में साथ होती है
माँ की मुस्कुराहट क्या होती है
आदरणीया पम्मी सिंह 'तृप्ति' जी
और कुछ हो न हो पर..पहरेदारी के आड़े
इसकी, उसकी,सबकी टोपी खूब उछालें जायेंगे,
आदरणीय पुरुषोत्तम सिन्हा जी
उन्हीं, असीम सी, रिक्तताओं में,
हैं कुछ, ढ़ूंढ़ने को मजबूर,
मुट्ठी भर आसमां, कहीं गगन पे दूर,
या, अपना, कोई आकाश,
लिए, अंतहीन सा, इक तलाश!
आदरणीया अपर्णा वाजपई जी
अपनी नागरिकता अपने चेहरे पर लादे हुए,
एक कप चाय के साथ
बांट लिए थे उन्होंने
अपने अपने देश.
आदरणीया अनीता लागुरी 'अनु' जी
शहरों में कहाँ ख़ाली हो गए मज़दूरों के घर
बन बंजारा मज़दूर चल दिए
अपने गाँव - घर
रास्ते की थकान को कम करने के लिए
वह लिखता है ख़ुद पर एक कविता-
आदरणीया श्वेता सिन्हा जी
रथ पर सज्ज
साधते हो नित्य
दृश्यमान लक्षित सत्य,
भेद्य,दुर्ग प्राचीर!!
आदरणीया नीतू रजनीश ठाकुर जी
तुकबंदी क्रियापद,
विशेषण व वर्तनी,
बिम्ब जो स्वतंत्र बने,
कथ्य से बचाइये।
आदरणीया सुधा सिंह 'व्याघ्र' जी
कर्म पथ पर ही थी निगाहें मेरी ।
मंजिल ही एक ध्येय, मेरी बनी थी।
'सबरंग क्षितिज-विधा संगम' पुस्तक से संबंधित कुछ अन्य अविस्मरणीय छायाचित्र
साहित्य परिषद और रुसी विज्ञान एवं सांस्कृतिक केन्द्र, नई दिल्ली के तत्त्वावधान में आयोजित 'दोहा गोष्ठी' में देश के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकारों के कर कमलों द्वारा हम दस ब्लॉगर साथियों (विश्वमोहन-वरिष्ठ संपादक, रवीन्द्र सिंह यादव-सूत्रधार, पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा-संपादक पद्य खंड, पम्मी सिंह 'तृप्ति'-अध्यक्षा:सलाहकार मंडल, सुधा सिंह 'व्याघ्र'-संपादक गद्य खंड, श्वेता सिन्हा -संपादक पद्य खंड, अपर्णा बाजपेयी-संपादक गद्य खंड, नीतू ठाकुर-प्रवक्ता एवं सदस्या:सलाहकार मंडल, ध्रुव सिंह 'एकलव्य'-संपादक गद्य खंड एवं प्रचार-प्रसार प्रभारी, अनीता लागुरी 'अनु'-सदस्या:सलाहकार मंडल ) की साझा पुस्तक 'सबरंग क्षितिज:विधा संगम' का लोकार्पण।
"सबरंग क्षितिज" पुस्तक का राँची में विमोचन
तस्वीर (आदरणीय पुरुषोत्तम सिन्हा जी )
प्रसिद्ध साहित्यकार उषा किरण खान जी को भारत भारती सम्मान 2018 नवाजे जाने की हार्दिक बधाई! इसी हिंदी दिवस को हमारी ( दस साहित्यकारों की )साझा पुस्तक ' सबरंग क्षितिज' अपने हाथों में लिए उषा जी के संग एक अविस्मरणीय पल।
पुस्तक “सबरंग क्षितिज विधा संगम” का हुआ लोकार्पण।
पुस्तक “सबरंग क्षितिज विधा संगम” की कुछ रचनाओं का वाचन
उद्घोषणा
'लोकतंत्र 'संवाद मंच पर प्रस्तुत
विचार हमारे स्वयं के हैं अतः कोई भी
व्यक्ति यदि हमारे विचारों से निजी तौर पर
स्वयं को आहत महसूस करता है तो हमें अवगत कराए।
हम उक्त सामग्री को अविलम्ब हटाने का प्रयास करेंगे। परन्तु
यदि दिए गए ब्लॉगों के लिंक पर उपस्थित सामग्री से कोई आपत्ति होती
है तो उसके लिए 'लोकतंत्र 'संवाद मंच ज़िम्मेदार नहीं होगा। 'लोकतंत्र 'संवाद मंच किसी भी राजनैतिक ,धर्म-जाति अथवा सम्प्रदाय विशेष संगठन का प्रचार व प्रसार नहीं करता !यह पूर्णरूप से साहित्य जगत को समर्पित धर्मनिरपेक्ष मंच है ।
'लोकतंत्र 'संवाद मंच पर प्रस्तुत
विचार हमारे स्वयं के हैं अतः कोई भी
व्यक्ति यदि हमारे विचारों से निजी तौर पर
स्वयं को आहत महसूस करता है तो हमें अवगत कराए।
हम उक्त सामग्री को अविलम्ब हटाने का प्रयास करेंगे। परन्तु
यदि दिए गए ब्लॉगों के लिंक पर उपस्थित सामग्री से कोई आपत्ति होती
है तो उसके लिए 'लोकतंत्र 'संवाद मंच ज़िम्मेदार नहीं होगा। 'लोकतंत्र 'संवाद मंच किसी भी राजनैतिक ,धर्म-जाति अथवा सम्प्रदाय विशेष संगठन का प्रचार व प्रसार नहीं करता !यह पूर्णरूप से साहित्य जगत को समर्पित धर्मनिरपेक्ष मंच है ।
धन्यवाद।
टीपें
अब 'लोकतंत्र' संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार '
सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित
होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आज्ञा दें!
आप सभी गणमान्य पाठकजन पूर्ण विश्वास रखें आपको इस मंच पर साहित्यसमाज से सरोकार रखने वाली सुन्दर रचनाओं का संगम ही मिलेगा। यही हमारा सदैव प्रयास रहेगा। रचनाओं के क्रम सुविधानुसार लगाये गए हैं।
सुंदर समीक्षा और रचनाओं के लिए समीक्षक एवं सभी रचनाकारों को बधाई तथा आभार। ध्रुव जी के मोहक वाचन का आभार और बधाई!!!
जवाब देंहटाएंसामूहिक भाव संस्कार संगम
जवाब देंहटाएंअद्भुत ,अतुलनीय सबरंग क्षितिज सभी लेखकों को नमन
बहुत सुन्दर संकलन।
जवाब देंहटाएं'सबरंग क्षितिज-विधा संगम' का अस्तित्व में आना ही एक अनोखी कथा के साथ सफ़ल प्रयोग भी है..
जवाब देंहटाएंआज की प्रस्तुति विशेष है। आपके श्रम को नमन🙏
ध्रुव जी के वाचन से हम सभी रचनाकारों को तो मानों अनमोल उपहार मिला। रेणु जी की समीक्षा अतुल्य है ही पर आपकी प्रस्तुति चंद शब्दों के साथ सिलसिलेवार हर एक रचनाकारों की छायाचित्रों को सलंग्न करना..आपके साहित्य के प्रति कर्मठता को दर्शा रहा।
आभार।
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंउपयोगी लिंकों सा सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति की ढेर सारी बधाई। यह संग्रह मेरा प्रथम साझा संग्रह है तो निःसंदेह इस संग्रह से भावनात्मक लगाव है। यह संग्रह और इस संग्रह से जुड़ा हर रचनाकार लेखन क्षेत्र में भरपूर सफलता प्राप्त करे यही प्रार्थना 🙏🙏🙏💐💐💐💐💐
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचनाओं के लिंको से सजी सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसबरंग क्षितिज साझा संकलन के सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई...।
प्रिय ध्रुव,, आज की आपकी इस विशेष प्रस्तुति पर संतोष की प्रबल अनुभूति हो रही है। सबरंग क्षितिज की समीक्षा के दौरान मुझे महसूस हुआ , ये एक साहित्यिक प्रस्तुति के साथ मानों एक पारिवारिक प्रस्तुति भी है। हिंदी ब्लॉग्गिंग के इतिहास में में ये पुस्तक एक मील का पत्थर रहेगी , निसन्देह। सभी रचनाकारों को सादर, सप्रेम आभार और शुभकामनायें। आज की प्रस्तुति में समस्त सबरंग परिवार को एक साथ मंच पर लाने के लिए और वीडियो द्वारा एक नये तरीके से रचनाकारों का हौन्सला बढ़ाने के लिए आप बधाई और साधुवाद के पात्र हैं। पर सब नौ रचनाकारों के साथ अपनी रचना का वाचन ना करके आपने प्रस्तुति को अधूरा रहने दिया। आपको भी अपनी कुछ पंक्तियों का वाचन करना था। अंत में इस सचित्र अविस्मरणीय लिंक संयोजन के लिए आभार और शुभकामनायें 🙏🙏😊😊
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंवाह!क्या बात है !अद्भुत !सभी श्रेष्ठ रचनाकारों का अद्भुत संगम !
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम विलम्ब से अपनी प्रतिक्रिया और आपके प्रशंसनीय कार्य की सराहना व आभार व्यक्त करने हेतु क्षमाप्रार्थी हूँ ।
जवाब देंहटाएंगत दो माह (14.03.2020 से) मेरी पत्नी ICU में भर्ती थीं और अभी तक अपनी अस्वस्थता से पूर्णतः उभर नही पाई हैं। कोरोना की वजह से मैं इस
विषम परिस्थिति में उनके साथ बिल्कुल अकेला हूँ। अतः साहित्यिक व अन्य गतिविधियों से भी लगभग दूर ही रहा हूँ । सोशल मीडिया से तो जैसे दूरी ही हो गई । अतः शायद मेरी अनुपस्थिति व विलम्ब से प्रतिक्रिया हेतु आप हमें अवश्य क्षमा कर देंगी, ऐसा मुझे अवश्य ही आभाष व विश्वास है।
आदरणीया रेणु जी ने, सबरंग क्षितिज की समीक्षा करते हुए अपनी विलक्षणता व कुशाग्रता का बेहतरीन परिदृश्य प्रस्तुत किया है। मैं तो बिल्कुल ही शब्दविहीन हो रहा हूँ । एक ही साथ लेखन की विभिन्न विधाओं पर विलक्षण टिप्पणी करना तथा सभी रचनाकारों के कार्यो की निरपेक्ष व सराहनीय टिप्पणी व समीक्षा प्रस्तुत करना अवश्य ही आसान नहीं रहा होगा।
तमाम साहित्यवर्ग आप जैसी प्रतिभाशाली व्यक्तित्व का सानिध्य पाकर अवश्य ही गौरवान्वित हो रहा होगा।
यहाँ अंकित अन्य प्रतिक्रियायें इसकी गवाह हैं । हमारा लेखन कार्य आज थोड़ा सार्थक होता नजर आया।
व्यक्तिगत तौर पर, मैं आदरणीया रेणु जी के प्रयासों हेतु कृतज्ञ हूँ तथा जीवनपर्यन्त उनके सानिध्य की अपेक्षा रखता हूँ ।
आदरणीय एकलव्य जी द्वारा इस मंच पर उनके कार्यो के साथ अन्य सभी रचनाकारों को पुनः एक सुत्र में पिरोया जाना, निश्चित ही सुखद अनुभूति दे रहा है। शब्द कम पड़ जाएंगे इन अनुभूतियों को व्यक्त करने में ।
सभी रचनाकारों का पुनः अभिवादन आभार व धन्यवाद ।
" सबरंग क्षितिज " के सभी आदरणीय रचनाकारों को सत- सत नमन एवं हार्दिक शुभकामनाएं
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