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गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

१ .....'लोकतंत्र संवाद' का प्रथम अंक

आज बड़ा शुभ दिन है 
क्योंकि आज से ब्लॉग जगत के 
सच्चे साहित्यकारों की ख़ोज प्रारम्भ होती है। 
'लोकतंत्र संवाद'
के साथ 
तो चलिए चलते हैं 'लोकतंत्र संवाद' ब्लॉग के 
प्रथम अंक में  

सादर अभिवादन 


आज के साहित्यकार हैं :


  • आदरणीय श्याम कोरी "उदय" 
  • आदरणीय रविंद्र सिंह यादव 
  • आदरणीय विश्वमोहन जी 
  • आदरणीया रेणु बाला जी 
  • आदरणीया अनिता जी 




हम मुफलिसी के दौर के साथी हैं
कितनी ठंडें ..
कितनी बरसातें ..
कितनी गर्मियाँ ..




 आज  जलंधर फिर आया है
हाहाकार   मचाने   को 
अट्टहास   करता   है    देखो
अपना  दम्भ   दिखाने   को ...


 श्वेत श्वेत से सात अश्व से
सुसज्जित ये समय शकट है
घिरनी से घूमते पहिये पर
घटता घड़ी घड़ी जीवन घट है



शायद भूली राह - तब इधर आई -
देख हरे नीम ने भी बाहें फैलाई ; 
फुदके पात पात - हर डाल पे घूमे 
कभी सो जाती बना डाली का तकिया 



शब्दों में यदि पंख लगे हों
उड़ कर ये तुम तक जा पहुँचें,
छा जाएँ इक सुख बदली से
भाव अमित जो पल-पल उमगें !


 एक नई सोच ,एक नई शुरुआत



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