"जब बुद्धिजीवी लेखक गधे को गधा कहना छोड़ दे और भेड़िए को मेमना बताना प्रारंभ कर दे, तब समझ लीजिए साहित्य के बुरे दिन चल पड़े हैं।"
'लोकतंत्र संवाद मंच'
'नई प्रतिभाओं की खोज'
के अंतर्गत आज हम दो नये रचनाकारों का इस प्रायोगिक मंच पर तहेदिल से स्वागत करते हैं।
आप दोनों रचनाकारों का 'लोकतंत्र संवाद मंच' हार्दिक अभिनंदन करता है।
१. आदरणीय अनिल यादव जी
अनिल यादव जी की एक रचना उनके ही फेसबुक वाल से
अब नहीं करता मैं मुहब्बत की बातें
सामने एक मजनूँ फटेहाल आ रहा है
ऐ ज़िंदगी अब छोड़ दे तू सपने देखना
इधर-उधर से अब बवाल आ रहा है
वादे उसके, उसको कैसे याद दिलाऊँ मैं
जवाबों के बदले अब सवाल आ रहा है
ख़ामोशी से गया था वो रक़ीब के पास
मगर अब लौटकर वो बेहाल आ रहा है
इस जाड़े में सूरज भी छुप गया है कहीं
जिसे देखिए, वो पस्त चाल आ रहा है
न करो सियासत की बातें मेरे यारों अब
नाज़नीनों के दिल में उबाल आ रहा है
ख़ुशियाँ उसके मुकद्दर में है, ये माना मैंने
यहाँ भी हर ग़म नज़र ख़ुशहाल आ रहा है
बचकर रहना इस बार वक़्त से ऐ अनिल
सुना है कि साथ उसके बेताल आ रहा है
(आदरणीय अनिल यादव जी की कलम से)
'नई प्रतिभाओं की खोज'
के अंतर्गत आज हम दो नये रचनाकारों का इस प्रायोगिक मंच पर तहेदिल से स्वागत करते हैं।
आप दोनों रचनाकारों का 'लोकतंत्र संवाद मंच' हार्दिक अभिनंदन करता है।
१. आदरणीय अनिल यादव जी
अनिल यादव जी की एक रचना उनके ही फेसबुक वाल से
अब नहीं करता मैं मुहब्बत की बातें
सामने एक मजनूँ फटेहाल आ रहा है
ऐ ज़िंदगी अब छोड़ दे तू सपने देखना
इधर-उधर से अब बवाल आ रहा है
वादे उसके, उसको कैसे याद दिलाऊँ मैं
जवाबों के बदले अब सवाल आ रहा है
ख़ामोशी से गया था वो रक़ीब के पास
मगर अब लौटकर वो बेहाल आ रहा है
इस जाड़े में सूरज भी छुप गया है कहीं
जिसे देखिए, वो पस्त चाल आ रहा है
न करो सियासत की बातें मेरे यारों अब
नाज़नीनों के दिल में उबाल आ रहा है
ख़ुशियाँ उसके मुकद्दर में है, ये माना मैंने
यहाँ भी हर ग़म नज़र ख़ुशहाल आ रहा है
बचकर रहना इस बार वक़्त से ऐ अनिल
सुना है कि साथ उसके बेताल आ रहा है
(आदरणीय अनिल यादव जी की कलम से)
नवांकुर और प्रतिभा संपन्न लेखिका
२. आदरणीया प्रियंका पांडेय 'नंदिनी' जी,
प्रियंका जी की एक रचना
कितना अच्छा है न...
ये शांत वातावरण
न गाड़ियों की पीं-पीं
न वो सरदर्द बढ़ा देने वाले हॉर्न
आज लोगों की
चहल-पहल भी नहीं
एकदम शांत.... उन्मुक्त।
बाहर बैठने पर आज
हवा की सरसराहट
महसूस हो रही है।
सुनाई दे रहा है
वो पत्तियों का झड़ना।
अच्छा हाँ, पतझड़ आ गया शायद।
देखो तो...,
(प्रियंका जी की कलम से )
हम 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-३ में प्रवेश कर चुके हैं जो दिनांक ०१ /०४ /२०२० (बुधवार) से प्रभावी है।
के अंतर्गत प्रस्तुत है ये रचनाएँ,
(पर्दा उठता है )
सूत्रधार - एक जोगन राजस्थानी
और बृज की है ये कहानी
कृष्णा के गुण गाती आई
मीरा प्रेम दीवानी।
जिन्हें अहंकार था सर्वेसर्वा होने का
वे एक वायरस की चुनौती के समक्ष
मजबूरन नत-मस्तक हुए हैं
दंभी,मक्कार, झूठे-फ़रेबी
आज हमारे समक्ष बस मुए-से हैं।
साहित्य विशेष कोना
'साहित्य विशेष कोना' के अंतर्गत हम आपको सदैव अनोखी प्रतिभा से मिलवाते हैं।
वीना की कविताएँ
बहुजनों को
अंबानियों-अडानियों,
टूंटपूंजिए ब्राहमण, ठाकुर,
संघियों का गुलाम बनाने के
षड़यंत्र नहीं रचता
नदियां, पहाड़, खेत-खलिहान
जंगल, खदान नहीं डकार जाता
आदरणीय ज्योति खरे जी की कविता
उद्घोषणा
'लोकतंत्र 'संवाद मंच पर प्रस्तुत
विचार हमारे स्वयं के हैं अतः कोई भी
व्यक्ति यदि हमारे विचारों से निजी तौर पर
स्वयं को आहत महसूस करता है तो हमें अवगत कराए।
हम उक्त सामग्री को अविलम्ब हटाने का प्रयास करेंगे। परन्तु
यदि दिए गए ब्लॉगों के लिंक पर उपस्थित सामग्री से कोई आपत्ति होती
है तो उसके लिए 'लोकतंत्र 'संवाद मंच ज़िम्मेदार नहीं होगा। 'लोकतंत्र 'संवाद मंच किसी भी राजनैतिक ,धर्म-जाति अथवा सम्प्रदाय विशेष संगठन का प्रचार व प्रसार नहीं करता !यह पूर्णरूप से साहित्य जगत को समर्पित धर्मनिरपेक्ष मंच है ।
'लोकतंत्र 'संवाद मंच पर प्रस्तुत
विचार हमारे स्वयं के हैं अतः कोई भी
व्यक्ति यदि हमारे विचारों से निजी तौर पर
स्वयं को आहत महसूस करता है तो हमें अवगत कराए।
हम उक्त सामग्री को अविलम्ब हटाने का प्रयास करेंगे। परन्तु
यदि दिए गए ब्लॉगों के लिंक पर उपस्थित सामग्री से कोई आपत्ति होती
है तो उसके लिए 'लोकतंत्र 'संवाद मंच ज़िम्मेदार नहीं होगा। 'लोकतंत्र 'संवाद मंच किसी भी राजनैतिक ,धर्म-जाति अथवा सम्प्रदाय विशेष संगठन का प्रचार व प्रसार नहीं करता !यह पूर्णरूप से साहित्य जगत को समर्पित धर्मनिरपेक्ष मंच है ।
धन्यवाद।
टीपें
अब 'लोकतंत्र' संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार '
सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित
होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
आज्ञा दें!
आप सभी गणमान्य पाठकजन पूर्ण विश्वास रखें आपको इस मंच पर साहित्यसमाज से सरोकार रखने वाली सुन्दर रचनाओं का संगम ही मिलेगा। यही हमारा सदैव प्रयास रहेगा। रचनाओं के क्रम सुविधानुसार लगाये गए हैं।